Wednesday, April 14, 2021

माँ🌼


 मैं हूँ अज्ञान की कन्या ,
हो माँ तुम ज्ञान का सागर,
मैं हूँ एक अंक बिंदु सी,
हो माँ तुम ,शब्द का भंडार
छवि माता तुम्हारी ,
शब्दों में कैसे करूँ श्रृंगार,
मैं नन्ही सी हूँ कवियत्री..
हो तुम हर रचना का आधार ।।।


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